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Ekling Ka Deewan
註釋फिर वह राज सिंहासन के नीचे आकर छोटे सिंहासन पर बैठ गया। बंदी जन विरुदावली कहने लगे। ब्राह्मणों ने मंगल-पाठ पढ़ा। तब महारानी ने खड़ी होकर अपने पति का लिखा पत्र सुनाया। पत्र मार्मिक था। सबने इस समय अपने पुराने शासक मानमोरी की प्रशंसा ही की। फिर पुरोहित सत्यनारायण कुछ कहने के लिए खड़े हुए—“श्रद्धेय महारानी; मान्य अतिथिगण और प्रिय मित्रो; आज बड़े हर्ष का दिन है। पूज्य महाराज मानमोरी का स्वप्न आज पूरा हो रहा है; वह भी महारानी की उपस्थिति में। प्रिय भोज का पराक्रम; उसकी प्रतिभा; उसका शौर्य; उसकी प्रजाप्रियता आप से छिपी नहीं है। युद्ध से जीतकर लाया हुआ सारा धन उसने आप सब में बाँट दिया। इससे अधिक प्रजा के प्रति उसका प्रेम और क्या हो सकता है। मेरा पूरा विश्वास है; वह सदा अपनी प्रजा को पुत्र की भाँति मानेगा। उनका दु:ख दूर करेगा और प्रजा भी उसे अपना ‘बाप्पा’ (पिता) समझेगी।...हम इस पवित्र अवसर पर इसीलिए उसे ‘बाप्पा रावल’ की उपाधि से विभूषित करते हैं। आज से यह हमारा भोज नहीं; बल्कि हमारा पूज्य ‘बाप्पा रावल’ है।”
—इसी पुस्तक से

EKLING KA DEEWAN by MANU SHARMA: Manu Sharma presents a book titled "EKLING KA DEEWAN." While the specific details of the book are not provided, it is likely that the book explores the cultural or historical significance of Eklingsar, a famous Hindu temple in Rajasthan, India.

Key Aspects of the Book "EKLING KA DEEWAN":
Temple Exploration: The book may delve into the history, architecture, and cultural importance of the Eklingsar temple, providing readers with insights into its significance.
Cultural Heritage: Manu Sharma may celebrate the rich cultural heritage of Rajasthan and the spiritual significance of Eklingsar in this book.
Religious Exploration: "EKLING KA DEEWAN" likely serves as a resource for individuals interested in the spiritual and religious aspects of Eklingsar.

MANU SHARMA is an author dedicated to exploring and preserving the cultural and religious heritage of India. This book reflects his commitment to celebrating the significance of Eklingsar temple.