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आज़ादी का अमृत महोत्सव
註釋

यह हमारी खुशनसीबी है कि हम आजाद भारत में रह रहे हैं। इस आजादी को अमृत महोत्सव के रूप में मनाना बड़े गर्व का विषय है क्योंकि यह उन 90 वर्षों के प्रयासों का परिणाम है जो 1857 से 1947 तक अनवरत चलते रहे। यह परिणाम है उन समस्त आंदोलनों का जो किसानों से लेकर राजाओं द्वारा किए गये। यह परिणाम है उन क्रांतिकारियों की शहादत का जिन्होंने देश को आजाद कराने में अपने प्राण न्योछावर कर दिए। यह परिणाम है भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की नीतियों का जिन्होंने अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध राजनीतिक लड़ाई लड़ी। यह परिणाम है गांधी जी के अहिंसात्मक मार्ग का जिसमें समाज का हर तबका और वर्ग शामिल हुआ। यह परिणाम है उन महान नेताओं की कुर्बानी का जिन्होंने दिन रात अपनी जवानी देश को स्वतंत्र कराने में गुजार दी। तो आज वक्त है फिर से स्वतंत्रता संग्राम के जुझारू योद्धाओं को नमन करने का जिन्होंने हमारे भविष्य को स्वतंत्र सांसें देने के लिए अपने वर्तमान की सांसों को कांटो भरे संघर्ष में गुजारा। मैं उन्हें भी नमन करना चाहूंगी जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति तो दी मगर उनके नाम अभी तक इतिहास में कहीं गुम हैं।

अंत में यही कहना चाहूंगी कि 1757 के प्लासी युद्ध के बाद से अंग्रेजों ने जिस प्रकार से भारत में अपने पैर पसारना शुरू किया और धीरे-धीरे अंग्रेजी शासन की जड़ें मजबूत कीं उसे   उखाड़ फेंकने में भारतीय सपूतों ने ऐसा कठोर संघर्ष किया कि, भारत की धरती भी नाज करती है कि उसके आँचल ने ऐसे वीरों को जन्म दिया।

आज जरूरत इस बात की है कि हम महान नायकों के नैतिक सिद्धांतों को सदा जीवित रखे और आजाद देश की जो कल्पना उन्होंने की थी उसे साकार करते हुए भारत को नई ऊंचाइयों पर ले जाएं। तभी अमृत के रूप में मिली इस आजादी का महोत्सव सार्थक होगा।