क्षमा शर्मा पारिवारिक और सामाजिक झंझावात को मुखरता से लिखने वाली कथाकार हैं। उनकी रचनाओं के पात्र आधुनिक और परम्परागत समाज के बीच के संघर्षों में स्वयं को खोजते हुए प्रतीत होते हैं। यह संघर्ष ऊपर से जितने सरल दिखाई देते हैं दरअसल भीतर उतने सरल होते नहीं हैं। यह स्थिति एक कशमकश निर्मित करती है। इसी कशमकश को क्षमा शर्मा अपने रचे किरदारों के केन्द्र में रखती हैं। वे आधुनिकता की बहुआयामी विस्तृतताओं में पोषित अपने रचे पात्रों के मिलेजुले भावों को परखती हैं। उन्हें हौसले और शंकाओं की तलवार पर अग्रसर करती हैं ताकि अपने किरदारों में वे पात्र अपनी शिनाख्त कर पायें। क्षमा शर्मा अपने कथा पात्रों को सशक्त रूप में रचती हैं। वे पात्र अपने अधिकारों के लिए बहस भी करते हैं और कई बार मौजूदा स्थितियों को नकारते भी हैं।
पराँठा ब्रेकअप आधुनिक समय के परिवार, समाज और उसमें स्थापित मूल्यों को दर्शाती ऐसी कथाएँ हैं जो मनुष्यों और मनुष्यता की कई स्तरों पर पड़ताल करती हैं। यह कथाएँ अपने शिल्प विधान में जितनी आधुनिक हैं अपने सन्धान में उतनी ही गहरी अन्तर्दृष्टि लिए हैं। यह एक ऐसा बोध निर्मित करती हैं जो आधुनिकता में आये एकाकीपन को चिन्हित कर उन्हें प्रश्नांकित करता है। यह कथाएँ सूक्ष्म ब्योरों की यात्रा करती हुईं, परिवार की छोटी इकाई से निकलकर समाज के बृहद् आकाश पर अपनी पहचान बनाती प्रतीत होती हैं।