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तुलनात्मक हिंदी साहित्य के विविध आयाम
DR. PREMCHAND CHAVAN , SMT. SUSHMA KULKARNI
出版
Laxmi Book Publication
, 2024-07-26
主題
Art / General
ISBN
1304904636
9781304904638
URL
http://books.google.com.hk/books?id=GjkWEQAAQBAJ&hl=&source=gbs_api
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註釋
भारत बहुभाषिक तथा बहुसांस्कृतिक देश है। यहाँ की भौगोलिक, सामाजिक, पारंपरिक, भाषिक विविधता, विविध धर्म, जाति, भाषा-भूषा को देखते कोई विदेशी व्यक्ति अवश्य चकित होगा। 'कोस-कोस पर बदले पानी हुए चार कोस पर बानी' जैसी कहावत भारतीय नागरिकों के लिए नई नहीं है। यद्यपि यह विविधता द्रष्टव्य है, फिर भी विविधता में एकता हमारी पहचान है। व्यक्ति और समाज का संबंध हमेशा के लिए रहा है। मनुष्य समाज में जन्म लेकर चार पुरुषार्थों (धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष) की प्राप्ति करता है। समाज में रहकर ही मनुष्य के व्यक्तित्व का विकास होता है। समाज का व्यक्ति पर तथा व्यक्ति का समाज पर प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है।