登入
選單
返回
Google圖書搜尋
Kul Ka Kal Hain Betiyan
Shashi Kant Sadaiv
其他書名
Shashi Kant Sadaiv
出版
Diamond Pocket Books Pvt Ltd
, 2018-10-01
主題
Family & Relationships / Parenting / General
ISBN
9352963989
9789352963980
URL
http://books.google.com.hk/books?id=dP5zDwAAQBAJ&hl=&source=gbs_api
EBook
SAMPLE
註釋
कहने को भले ही आज हमारे देश ने खूब तरक्की कर ली हो, परन्तु फिर भी देश के बहुत बड़े हिस्से में, बेटियों को लेकर उनकी मानसिकता बहुत संकीर्ण है। जहां बेटों के जन्म पर खुशियां मनाई जाती हैं, वहीं आज भी बेटी पैदा होने पर चेहरे बुझ जाते हैं, बेटियों को बोझ व सिरदर्दी ही समझता है। कहने को तो इस देश में बेटियों को देवी रूप में पूजने की परंपरा है पर वहीं आज उनकी तस्करी करने वालों की भी कमी नहीं है। आज भी परंपराओं एवं दकियानूसी विचारों के कारण बेटियां सुरक्षित नहीं हैं, या तो जन्म से पहले ही उन्हें गर्भ में मार दिया जाता है या फिर जन्म के बाद वह पूरी उम्र लिंगभेद के साथ-साथ पारिवारिक एवं सामाजिक शोषण तथा हिंसा का शिकार होती हैं। शायद यही कारण है कि आज आजादी के सात दशकों के बाद भी हमें 'बेटी बचाओं, बेटी पढ़ाओं' जैसी योजना को लाना पड़ा है। बेटा यदि कुल का दीपक है तो बेटियां कुल की लौ हैं। लौ के बिना दीपक, मिट्टी का मात्र बर्तन भर है। लौ से ही प्रकाश उठता है और अंधकार मिटता है, इसलिए यदि हमें अपनी जीवन में प्रकाश चाहिए तो हमें दोनों को स्वीकारना होगा। इतिहास गवाह है, कि भले ही हर युग ने बेटी को बेटे से कम आंका हो, परंतु बेटियां सदा से परिवार एवं समाज की मदद करती आईं हैं। उसने कभी पुत्री, तो कभी मां, बहन एवं पत्नी बनकर स्वयं को प्रमाणित किया है। वह धरती पर बोझ नहीं परमात्मा का वरदान है, ईश्वर द्वारा बनाई गई सबसे प्यारी कृति है।