वजूद यानी हमारा अस्तित्व , मौजूदगी। वजूद के तलाश में हमारी पूरी ज़िन्दगी निकल जाती हैं। सच तो ये हैं कि हमारे हर हरकत में हमारे हर लम्हें में हमारा वजूद होता हैं। माँ-बाप भाई-बहन प्रेमी-प्रेमिका दोस्त देशप्रेम हो या ज़िन्दगी में कुछ कर दिखाने की भावना, ये सारे ही हमारे जीने का हिस्सा होते है इसका मतलब ही ये है कि ये सारे पहलू हमारे अस्तित्व का एक भाग हैं। अगर माँ बाप नहीं तो हम नही, अगर दोस्त नहीं तो जीने में मजा नहीं और अगर प्यार नहीं तो ज़िन्दगी पूरी नहीं।
इसी प्रकरण में हमारी प्रस्तुति है "वजूद-ए-ज़िन्दगी - कविता संग्रह"। इस कविता संग्रह में विविध शहरों के सह लेखकों ने एकत्रित आकर अस्तित्व/ वजूद के बारे में अपने विचार साझा किए हैं और इसीलिए आपको सिर्फ एक या दो नहीं तो कई सारे रिश्ते नाते या विषयों के बारे में इस कविता संग्रह में पढ़ने मिलेगा।
वजूद-ए- ज़िन्दगी आपको आपके अस्तित्व की आपके मौजूदगी की पहचान कराने का पूरा प्रयास करेगी ये आशा करती हूँ।